बीएचयू ने जारी की स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड काउंसिलिंग सेंटर हेल्पलाइन, दूर होगी छात्रों की मानसिक परेशानी

बीएचयू ने जारी की स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड काउंसिलिंग सेंटर हेल्पलाइन, दूर होगी छात्रों की मानसिक परेशानी









लॉकडाउन के दौरान घरों में रहना लोगों खासकर युवाओं और छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य की दिक्कत बढ़ा रहा है। इसको देखते हुए बीएचयू की ओर से स्ट्रेस मैनेजमेंट ऐंड काउंसिलिंग सेंटर की हेल्पलाइन जारी की गयी है। इसके जरिये उनके मन से कोरोना का खौफ निकाला जायेगा। बीएचयू के तनाव प्रबंधन एवं परामर्श केंद्र के समन्वयक एवं मनोचिकत्सक प्रो. संजय गुप्ता ने कहा कि हर समय खुद को थका हुआ महसूस कर रहे हैं और दिमाग में कुछ ना कुछ विचार चलता रह रहा है तो मानसिक सेहत का ध्यान रखना जरूरी है। ताकि काम और सेहत दोनों की क्वालिटी बनी रहे। इस समय जो लोग तनाव दूर करने के लिए दवा का सेवन कर रहे हैं वे समय से दवा लेते रहें। 


प्रो. गुप्ता ने कहा कि दिमाग सही तरह से काम करेगा तभी हम भी अच्छा परफॉर्म कर सकते हैं। मन ठीक न हो तो काम के साथ ही व्यक्तिगत और सामाजिक संबंध भी बिगड़ जाते हैं। इस लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना जरूरी है। समय से सोना, जागना, व्यायाम और मानसिक स्थिरता के लिए प्राणायाम करना होगा। मोबाइल पर बहुत अधिक समय तक व्यस्त ना रहें। तेजी से बढ़ती मानसिक बीमारियों की एक बड़ी वजह दिन में कई घंटे मोबाइल पर व्यस्त रहना भी है। हेल्पलाइन नंबर 9919924433 पर सुबह नौ बजे से रात नौ बजे तक कॉल कर परामर्श ले सकते हैं। 


तनाव से राहत के लिए इसे अपनाएं
गहरी सांस

तनाव दिमाग पर हावी हो रहा है तो गहरी सांसें लेना शुरू कर दें। सांस लें और फिर धीरे-धीरे उसे छोड़ें। इससे तुरंत तनाव कम हो जाएगा। दिमाग की नसे रिलैक्स होंगी और शरीर में बढ़े हुए ऑक्सीजन से ऊर्जा मिलेगी। गहरी सांस से फेफडें भी मजबूत बनते हैं। श्वास तंत्र ठीक से काम करता है। शरीर से आलस दूर भागता है। रक्त का प्रवाह बेहतर होने से हृदय पर बहुत ज्यादा दबाव नहीं पड़ता है। 


मौसम के हिसाब से डायट
मौसम के हिसाब से भोजन का विशेष ध्यान रखना होगा। समस्या यह है कि अब हर सीजन में सभी प्रकार की सब्जी उपलब्ध है। मौसम के अनुसार सब्जियों और फल के सेवन से सेहत बनती है। बेवक्त और बेमौसम का खाना परेशान करता है। 


ऐक्टिव रहें
बैठे रहने या एक जगह पर स्थिर रहने से थकान व तनाव होता है। जितनी मेहनत करते हैं, शरीर उतना ही मजबूत बनता है। लाइफस्टाइल ऐसी हो चुकी है, जिसमें कई-कई घंटे लगातार बैठकर काम करते हैं या घंटों तक खड़े रहते हैं। इससे कुछ खास मांस पेशियों पर दबाव पड़ता है। जब शरीर ऐक्टिव नहीं रहता है तो रक्त का संचार, ऑक्सीजन स्तर, हॉर्मोनल लेवल और पाचन क्रिया सभी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो मानसिक चिंता और तनाव का कारण है। 


छात्रों के सवाल
 ...सर मुझे नींद नहीं आ रही मैं क्या करू 

स्ट्रेस मैनेजमेंट एंड काउंसलिंग सेंटर (एसएमसीसी) पर बुधवार को छात्रों ने फोन कर अपनी समस्याए बताई। शाम तक छात्रों के करीब 56 व्हाट्सएप संदेश और 63 कॉल आए। छात्रों ने बताया कि वे नींद नहीं ले पा रहे हैं। क्योंकि अभी तक उनका कोर्स पूरा नहीं हुआ है और लॉकडाउन में कक्षाओं को निलंबित कर दिया गया है। हम अपना कोर्स कैसे पूरा कर पाएंगे। अन्य छात्रों ने पूछा, अगर परीक्षा में देरी हुई तो क्या होगा। प्रो. गुप्ता ने कहा कि ज्यादातर कॉल करने वालों में शिक्षा से जुड़ी चिंताए हैं, जो तनाव की ओर ले जा रही हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षा की चिंता न करें क्योंकि सरकार निश्चित रूप से एक रास्ता निकालेगी। कोरोना को हराने के लिए अपने घर पर रहना चाहिए।


डॉ. राजेश सिंह (पीआरओ बीएचयू) ने कहा-  केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार एसएमसीसी का गठन किया गया है। लॉकडाउन के दौरान, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना और उनके मनोदशा संबंधी चिंताओं को दूर करना जरूरी है।