टेक्नालाजी विकसित करके ही दूर कर सकते प्रदूषण: प्रो. देवेश सिन्हा

टेक्नालाजी विकसित करके ही दूर कर सकते प्रदूषण: प्रो. देवेश सिन्हा


वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर में इंस्पायर साइंस कैम्प के चौथे दिन गुरुवार को आर्यभट्ट सभागार में भूगर्भ विज्ञान और रसायन विज्ञान के बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी दी।


दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. देवेश सिन्हा ने कहा कि विज्ञान को समझने के लिए बृहद दृष्टिकोण की जरूरत है। प्रदूषण टेक्नालाजी के चलते हुई है इसे दूर भी हम टेक्नालाजी विकसित करके ही कर सकते हैं।


उनका मानना है कि हम केवल अपने अतीत को ही देख सकते हैं। उदाहरण देते हुए बताया कि सूरज की रोशनी पृथ्वी पर आने में आठ मिनट का समय लगता है। इसका मतलब हम आठ मिनट पहले के सूरज को देख रहे हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, मानसून और महासागरीय धाराओं के बारे में विस्तार से बताया।


आईआईटी रोपड़ के डा. यशवीर सिंह ने दवाओं और उनकी क्रिया से संबंधित चीजों को विस्तारपूर्वक सरल भाषा में बताया। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग की औषधि को समझने के लिए सेल कल्चर कोशिकाओं और क्लीनिकल ट्रायल के सभी चरणों को जानना आवश्यक है। उन्होंने एस्प्रीन और मारफीन (अफीम) के अन्तर को बताते हुए कहा कि एस्प्रीन दर्द देने वाली कोशिकाओं को रोकता है और मारफीन दर्द का पता नहीं होने देता।


इसके पूर्व इंस्पायर कैंप के चेयरमैन प्रो.बी.बी. तिवारी, डा. मनीष गुप्ता, डा. श्याम कन्हैया सिंह ने दोनों विषय विशेषज्ञों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। संचालन डा. संतोष कुमार ने किया। आयोजन समिति के डा. मनीष गुप्ता ने बताया कि 31 जनवरी को लाइफ साइंस, अप्लाइड मैथमेटिक्स और रसायन विज्ञान के विशेषज्ञ बच्चौं को प्रायोगिक तरीके से समझाएंगे।